न्यायालय इस आवेदन की सुनवाई कर आदेश पारित करता है कि प्रतिवादीगण वाद में प्रतिरक्षा के हकदार हैं या नहीं।
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इस के पश्चात न्यायालय द्वारा निर्णय हेतु समन प्रतिवादीगण को जारी किया जाता है जिसे मिलने की तिथि के दस दिनों में प्रतिवादीगण को शपथपत्र या अन्य साधनों सहित वाद में अपनी प्रतिरक्षा के आधारों का वर्णन करते हुए आवेदन प्रस्तुत करना होता है कि वह उक्त वाद में प्रतिरक्षा करना चाहता है।